शेयर मार्केट में निवेश करना वर्तमान दौर में बेहद आसान बनता जा रहा है, लेकिन यहाँ निवेश करने के एक से अधिक विकल्प उपलब्ध हैं, जिनके बारे में एक निवेशक के तौर पर आपके लिए जानना आवश्यक है। उदाहरण के लिए कुछ शेयर मार्केट ट्रेडिंग अल्पकालिक अवधि के लिए होती हैं, जबकि कुछ ट्रेडिंग लंबी अवधि के निवेश के रूप में की जाती हैं।
हालाँकि शेयर बाज़ार में निवेश के कुछ अन्य तरीके भी हैं जैसे फ्यूचर एवं ऑप्शन में निवेश आदि, किन्तु आज इस लेख में हम मुख्यतः अवधि के आधार पर शेयर मार्केट में करी जाने वाली ट्रेडिंग के विषय में समझेंगे। इस प्रकार शेयर बाजार में दो तरीके से ट्रेडिंग करी जा सकती हैं, जिन्हें हम इंट्राडे ट्रेडिंग या डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग (Intraday Trading Vs Delivery Trading) के रूप में जानते हैं।
इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading) क्या है?
जब कोई ट्रेडर या निवेशक एक ही ट्रेडिंग दिन के भीतर शेयरों की खरीद और बिक्री करता है, तो इसे इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading) कहा जाता है। इस प्रकार की ट्रेडिंग में शेयरों को कम समय में लाभ कमाने के उद्देश्य से खरीदा जाता है, लंबी अवधि के निवेश के रूप में नहीं।
इंट्राडे ट्रेडिंग में किसी ट्रेडिंग दिन में शेयर की कीमत में हुए परिवर्तन के आधार पर ट्रेडर लाभ अर्जित करते हैं, गौरतलब है कि, डिलीवरी ट्रेडिंग के विपरीत यहाँ कोई ट्रेडर किसी शेयर को पहले बेचकर बाद में खरीद भी सकते हैं। ऐसा उस स्थिति में किया जाता है, जब ट्रेडर को किसी शेयर की कीमतों में गिरावट का अंदेशा होता है, ऐसे में ट्रेडर दिन की शुरुआत में शेयर बेच देते हैं तथा दिन के मध्य या अंत में जब शेयर के दाम गिर जाएं तो उसे खरीद लेते हैं।
इंट्राडे ट्रेडिंग के लाभ
इंट्राडे ट्रेडिंग के कुछ सकारात्मक पक्ष निम्नलिखित हैं
इंट्राडे ट्रेडिंग के नुकसान
इंट्राडे ट्रेडिंग के कुछ नकारात्मक पक्ष निम्नलिखित हैं
डिलीवरी ट्रेडिंग (Delivery Trading) क्या है?
ऐसी ट्रेडिंग जहाँ ट्रेडर लंबी अवधि के लिए किसी शेयर में निवेश करता है उसे डिलीवरी ट्रेडिंग कहा जाता है। जैसा कि, इसके नाम से भी स्पष्ट होता है यहाँ निवेशक को इंट्राडे ट्रेडिंग के विपरीत शेयरों की डिलीवरी उसके डीमैट खाते में प्राप्त होती है। चूँकि किसी डीमैट खाते में शेयर ट्रांसफर होने में दो दिनों का समय लगता है अतः डिलीवरी ट्रेडिंग में कोई ट्रेडर दो दिनों से लेकर अनिश्चित काल तक शेयर अपने पास रख सकता है।
डिलीवरी ट्रेडिंग का मुख्य उद्देश्य दीर्घकालिक अवधि के लिए किसी कंपनी में निवेश करना होता है। जहाँ इंट्राडे ट्रेडिंग में ट्रेडर के पास ट्रेड करने की एक निश्चित समय सीमा होती है वहीं डिलीवरी ट्रेडिंग में समय की कोई सीमा नहीं है।
डिलीवरी ट्रेडिंग के फायदे
डिलीवरी ट्रेडिंग के कुछ सकारात्मक पक्ष निम्नलिखित हैं
डिलीवरी ट्रेडिंग के नुकसान
निष्कर्ष
ऊपर हमनें ट्रेडिंग के दोनों प्रकारों को उनके सकारात्मक तथा नकारात्मक पहलुओं के साथ समझा। ट्रेडिंग के इन तरीकों में लाभ और जोखिम दोनों शामिल है अतः किसी ट्रेडर का लाभ अथवा नुकसान पूर्णतः उसकी कुशलता पर निर्भर करता है। यदि आप भी शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं तो देश के नंबर 1 ब्रोकरेज फर्म जीरोधा के साथ शेयर बाजार में निवेश की अपनी इस यात्रा को शुरू कर सकते हैं।