CAA क्या है?
पिछले कई दिनों से न्यूज़ चैनल, सोशल मीडिया, अखबारों आदि में एक शब्द “CAA” और देशभर में इसको लेकर किया जा रहा विरोध प्रदर्शन खासा सुर्खियों में है। ऐसे में अगर आप भी समाचारों में CAA सुन-सुन के तंग आ चुके हैं और इसके बारे में जानने का मन बना चुके हैं तो आइए समझते हैं CAA आखिर है क्या, दरअसल CAA नागरिकता से जुड़ा एक कानून है, जिसका नाम नागरिकता (संशोधन) कानून 2019 या अंग्रेजी में Citizenship (Amendment) Act 2019 है।
इस कानून के कुछ प्रावधानों के चलते यह विवादों में है और इसका कड़ा विरोध किया जा रहा है, CAA के तहत ऐसे कौन से प्रावधान हैं तथा प्रदर्शनकारियों की सरकार से क्या मांगें हैं इनकी चर्चा लेख में आगे विस्तार से करेंगे लेकिन पहले आपके लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि, नागरिकता के संबंध में देश में फिलहाल क्या व्यवस्था है।
भारत में नागरिकता हेतु प्रावधान
संविधान के दूसरे भाग में अनुच्छेद 5 से 11 तक नागरिकता के बारे में प्रावधान किए गए हैं। हाँलाकि संविधान के ये प्रावधान केवल संविधान के लागू होने के समय जो लोग भारत के नागरिक बने उनकी पहचान करते हैं नागरिकता के संबंध में संसद इन प्रावधानों में संशोधन कर सकती है।
नागरिकता अधिनियम 1955
भारत की नागरिकता के अर्जन या समाप्ति के लिए 1955 में एक कानून बनाया गया जिसे नागरिकता अधिनियम 1955 के नाम से जाना जाता है। इस कानून के तहत नागरिकता ग्रहण करने के पाँच विकल्प दिए गए हैं
जन्म से : शत्रु देश तथा विदेशी राजदूतों के बच्चों को छोड़कर यदि किसी व्यक्ति का जन्म भारत में हुआ हो तथा उसके माता या पिता में से कोई एक भारत का नागरिक एवं अन्य अवैध प्रवासी न हो तब वह भारत का नागरिक होगा।
वंश के आधार पर : यदि किसी व्यक्ति का जन्म भारत के बाहर हुआ हो तथा जन्म के समय उसके माता या पिता में से कोई एक भारत का नागरिक हो तब वह व्यक्ति जिस देश में उसका जन्म हुआ है उस देश के भारतीय दूतावास में जन्म से एक वर्ष के दौरान पंजीकरण करके भारत का नागरिक बन सकता है।
पंजीकरण द्वारा : यदि कोई विदेशी नागरिक भारतीय से विवाह करता/करती है तब वह पंजीकरण द्वारा भारत की नागरिकता ग्रहण कर सकता/सकती है यदि वह 7 वर्षों से भारत में रह रहा/रही हो। OCI (भारतीय मूल के विदेशी नागरिक) कार्ड धारकों के लिए यह अवधि 5 वर्ष है।
प्राकृतिक रूप से : यदि कोई व्यक्ति 12 वर्ष से भारत में रह रहा है तथा एसे किसी देश से है जहाँ भारतीय नागरिक प्राकृतिक रूप से नागरिक बन सकते हैं, इसके अतिरिक्त उसे भारतीय संस्कृति का अच्छा ज्ञान हो गया हो तो प्राकृतिक आधार पर भारतीय नागरिक बन सकता है।
क्षेत्र समाविष्ट द्वारा : यदि किसी विदेशी क्षेत्र का भारत में विलय हो जाए तो उस क्षेत्र के नागरिकों को स्वतः भारत की नागरिकता प्राप्त होगी।
नागरिकता की समाप्ति
नागरिकता की समाप्ति के लिए भी निम्न शर्ते इस कानून में उल्लिखित हैं।
- अपनी इच्छा से नागरिकता का त्याग करने पर
- केंद्र सरकार किसी नागरिक जिसने संविधान का अनादर किया हो, फर्जी तरीके से नागरिकता ग्रहण करी हो या कोई राष्ट्रविरोधी कृत्य किया हो के आधार पर नागरिकता बर्खास्त कर सकती है।
- किसी अन्य देश की नागरिकता ग्रहण करने पर भारत की नागरिकता स्वतः समाप्त हो जाएगी
नागरिकता ग्रहण करने तथा नागरिकता की समाप्ति के नियमों में बदलाव करने लिए समय समय पर इस कानून में संशोधन किए गए हैं।
नागरिकता (संशोधन) कानून 2019 या CAA
नागरिकता कानून में 2019 में हुआ संशोधन सुर्खियों में रहा और देशभर में लोगों ने इस संशोधन के विरोध में प्रदर्शन किए, आइये जानते हैं क्या प्रावधान थे इस संशोधन में जिसके कारण यह इतना विवादों में रहा।
- इस संशोधन के अनुसार अफगानिस्तान, पाकिस्तान एवं बांग्लादेश के बौद्ध, हिन्दू, जैन, पारसी, सिख तथा ईसाई समुदाय के ऐसे व्यक्ति जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पूर्व भारत में प्रविष्ट हुए हैं उन्हें अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा और ऐसे व्यक्ति पासपोर्ट अधिनियम 1920 तथा विदेशियों से संबंधित अधिनियम 1946 के अंतर्गत किसी भी कार्यवाही से मुक्त होंगे।
- संशोधन के अनुसार उक्त तीन देशों के अल्पसंख्यक यदि केवल 6 वर्षों से भारत में रह रहे हैं तो उन्हें प्राकृतिक रूप से भारत की नागरिकता दी जा सकेगी जो इससे पूर्व तक 12 वर्ष थी।
- उक्त धर्मों तथा देशों के ऐसे सभी व्यक्तियों जिन पर अवैध प्रवासी संबंधित कोई कार्यवाही लंबित है इस संशोधन के लागू होने की तारीख से निलंबित समझी जाएगी। तथा ऐसे व्यक्तियों को इस आधार पर नागरिकता दिए जाने के लिए अयोग्य नहीं ठहराया जाएगा कि उन पर कोई कार्यवाही लंबित है।
National Register of Citizens (NRC)
असम में हुई NRC में लगभग 40 लाख लोग नागरिकता प्रमाणित करने वाले ज़रूरी दस्तावेज दिखा पाने में नाकाम रहे किन्तु ये सभी अवैध प्रवासी नहीं थे अधिकतर लोगों के दस्तावेज बने ही नहीं थे एवं कुछ के प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़ के चलते खो गए थे। यदि आपको NRC के बारे में नहीं पता तो बता दें यह एक रजिस्टर है, जिसमें जनगणना की ही तरह एक अभियान के तहत लोगों से उनकी नागरिकता के प्रमाण के रूप में आवश्यक दस्तावेज माँगे जाएंगे तथा दस्तावेज दिखाने के पश्चात उनके नाम रजिस्टर में दर्ज किये जाएंगे और इस प्रकार इस रजिस्टर में पंजीकरण हो जाने के बाद लोगों की नागरिकता सिद्ध हो सकेगी।
CAA के पक्ष तथा विरोध में तर्क
CAA के पक्ष में तर्क
इस संशोधन के विरोध में दिए जाने वाले तर्कों से पहले समझते हैं सरकार का इस संशोधन को करने हेतु क्या तर्क है। सरकार के अनुसार इस संशोधन को लाने का मुख्य उद्देश्य उक्त देशों में पीड़ित अल्पसंख्यकों यथा हिन्दू, बौद्ध, जैन, पारसी, सिख, तथा ईसाईयों को भारत की नागरिकता प्रदान करना या ऐसे व्यक्तियों जो अपने देश में बहुसंख्यकों द्वारा प्रताड़ित होने के कारण अवैध रूप से भारत में प्रविष्ट हुए थे उन्हें घुसपैठिया न समझकर सम्मानपूर्वक भारत की नागरिकता देना है।
CAA के विरोध में तर्क
अब अगर इसके विरोध की बात करें तो इसके विरोध में कई तर्क लोगों द्वारा दिये जा रहे हैं जो निम्न हैं-
- इस संशोधन के तहत एक विशेष धर्म इस्लाम को हटाया गया है, जिसके संबंध में लोगों का तर्क है कि संविधान में नागरिकता ग्रहण करने हेतु धर्म को कभी आधार नहीं बनाया गया अतः यह संशोधन संविधान विरोधी है। हाँलाकि सरकार का इस विषय में सोचना है कि उक्त देशों में इस्लाम धर्म को मानने वाले बहुसंख्यक हैं जबकि इस कानून का मुख्य उद्देश्य पीड़ित अल्पसंख्यकों को सम्मान पूर्वक भारत की नागरिकता देना है।
- कई लोगों का तर्क है कि सरकार किसी पीड़ित व्यक्ति या किसी घुसपैठिये में अंतर नहीं कर पाएगी अतः कोई घुसपैठिया भी इस कानून का नाजायज लाभ ले सकता है जो भारत की सुरक्षा के लिए सही नहीं है।
- चूँकि गृहमंत्री श्री अमित शाह द्वारा एक बयान में कहा गया था कि असम के बाद पूरे देश में NRC लागू की जाएगी अतः कुछ लोगों का मानना है कि इस्लाम धर्म के अतिरिक्त किसी अन्य धर्म का पालन करने वाला व्यक्ति यदि नागरिकता संबंधित दस्तावेज दिखा पाने में असमर्थ होता है तो उसे सरकार नागरिकता संशोधन कानून के तहत अल्पसंख्यक पीड़ित समझकर नागरिकता प्रदान कर देगी किन्तु वहीं यदि कोई इस्लाम को मानने वाला व्यक्ति अपने दस्तावेज दिखाने में असमर्थ होता है तो उस पर अवैध प्रवासी होने के चलते कार्यवाही की जाएगी। सरल शब्दों में कहें तो लोगों का तर्क है कि यह कानून मुसलमान विरोधी है।