ब्लॉकचेन तकनीक (Blockchain Technology in Hindi) तथा इसके अनुप्रयोग

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नमस्कार दोस्तो स्वागत है आपका जानकारी ज़ोन में जहाँ हम विज्ञान, प्रौद्योगिकी, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, अर्थव्यवस्था, ऑनलाइन कमाई तथा यात्रा एवं पर्यटन जैसे क्षेत्रों से महत्वपूर्ण तथा रोचक जानकारी आप तक लेकर आते हैं। आज इस लेख में हम समझेंगे ब्लॉकचेन तकनीक (Blockchain Technology in Hindi) के बारे में और जानेंगे यह किस प्रकार कार्य करती है तथा इससे मानव जीवन का भविष्य कैसे बदल सकता है।

ब्लॉकचेन तकनीक (Blockchain Technology in Hindi)

वर्तमान दौर में प्रौद्योगिकी हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुकी है। स्वास्थ्य, शिक्षा, रक्षा, अर्थव्यवस्था जैसे कई क्षेत्रों में यह अपने पाँव पसार रही है। जैसे-जैसे इंटरनेट की पहुँच लोगों तक बढ़ रही है हम एक डिजिटल युग में प्रवेश करने की राह पर निरंतर आगे बढ़ रहे हैं। आए दिन किसी न किसी सेवा के ऑनलाइन उपलब्ध होने की खबरें मिलती रहती हैं। तकनीकी के इस युग में इसका एक महत्वपूर्ण प्रकार ब्लॉकचेन के रूप में हमारे सामने उभर रहा है। हालाँकि यह तकनीक अभी विकास के दौर में है, किन्तु इसके कुछ महत्वपूर्ण अनुप्रयोगों (Applications) में क्रिप्टोकरेंसी महत्वपूर्ण है।

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क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल मुद्रा है, जिसे भौतिक रूप में प्राप्त नहीं किया जा सकता। दिन-प्रतिदिन ऑनलाइन होती सेवाओं में मुद्रा का डिजिटल होना तकनीकी के क्षेत्र में हो रही क्रांति को दर्शाता है। वर्तमान समय में क्रिप्टोकरेंसी में सबसे प्रमुख नाम बिटकॉइन का है। अक्सर लोग ब्लॉकचेन तकनीक तथा बिटकॉइन को एक ही समझ लेते हैं, जबकि यह पूर्ण रूप से सत्य नहीं है। आइए जानते हैं आखिर ब्लॉकचेन क्या है? तथा बिटकॉइन से कैसे भिन्न है?

ब्लॉकचेन एक तकनीक है, जिसकी सहायता से किसी भी प्रकार के डेटा का एक विकेन्द्रीकृत बहीखाता (Ledger) तैयार किया जा सकता है। इस नेटवर्क से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति के पास सूचना का यह रिकॉर्ड मौज़ूद होता है। यह बहीखाता या रिकॉर्ड सूचनाओं के अलग-अलग ब्लॉक की एक श्रंखला के रूप में होता है यही कारण है कि, इस तकनीक को ब्लॉकचेन नाम दिया गया है। ब्लॉकचेन तकनीक की शुरुआत साल 1991 में स्टुअर्ट हैबर और डब्ल्यू. स्कॉट स्टोर्नेटा द्वारा की गई तथा पहली बार इस तकनीक का प्रयोग 2009 में क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन के लेन-देन में किया गया।

ब्लॉकचेन तकनीक की कार्यप्रणाली

किसी लेन-देन या सूचना का ब्लॉक में दर्ज होना दो चरणों में सम्पन्न होता है। इस प्रक्रिया में माइनर्स तथा नोड्स अपनी अपनी भूमिका निभाते हैं। आइये पहले इन दोनों को जानते हैं। नोड्स ब्लॉकचेन नेटवर्क से जुड़े ऐसे लोग हैं, जिनके पास किसी विशेष ब्लॉकचेन नेटवर्क (Blockchain Network) का रिकॉर्ड उपलब्ध रहता है।

उदाहरण के तौर पर क्रीप्टोकरेंसी के लेन-देन से संबंधित ब्लॉकचेन नेटवर्क की बात करें तो इस नेटवर्क में नोड की भूमिका में कार्य करने वाले व्यक्ति के पास क्रीप्टोकरेंसी में हुए लेन-देन का शुरुआत से लेकर आखिरी ब्लॉक तक का रिकॉर्ड मौज़ूद होगा। गौरतलब है कि, कोई भी व्यक्ति आवश्यक संसाधनों की मदद से ब्लॉकचेन नेटवर्क से जुड़कर नोड के रूप में कार्य कर सकता है।

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वहीं “माइनर्स” नेटवर्क से जुड़े ऐसे लोग हैं, जो नोड द्वारा प्राप्त किसी सूचना को सूचना के एक सुरक्षित ब्लॉक रूप में परिवर्तित करते हैं। आइए इस सम्पूर्ण प्रक्रिया को एक उदाहरण से समझते हैं। माना कोई व्यक्ति A अपने किसी मित्र B को एक बिटकॉइन भेजना चाहता है। ऐसे में A अपने बिटकॉइन वॉलेट से B के वॉलेट में 1 बिटकॉइन भेजने का निवेदन करता है।

यह निवेदन सूचना के एक पैकेट के रूप में ब्लॉकचेन नेटवर्क को भेजा जाता है। यहाँ नेटवर्क में उपस्थित प्रत्येक नोड इस सूचना को अपने पास उपलब्ध रिकॉर्ड से सत्यापित करता है। जैसे व्यक्ति A के खाते में 1 बिटकॉइन उपलब्ध है या नहीं आदि। सूचना सत्यापित हो जाने के बाद इसे माइनर्स को भेजा जाता है। माइनर्स इस सूचना को एक सुरक्षित कुंजी (हैश) में परिवर्तित करते हैं, जिसके लिए उन्हें कुछ जटिल गणितीय प्रणाली को हल करना होता है।

BLCOK in blockchain network
Data Blocks

अंततः माइनर्स सूचना का एक ब्लॉक बनाकर उसमें पूर्ववर्ती ब्लॉक की सुरक्षा कुंजी को संलग्न कर देते हैं। यह ब्लॉक पुनः नेटवर्क में मौजूद सभी नोड्स के पास जाता है तथा उनके द्वारा इस ब्लॉक को श्रंखला से जोड़ दिया जाता है। एक नए ब्लॉक बनने की यह प्रक्रिया औसतन 10 मिनट में सम्पन्न होती है, जिसके सम्पन्न होने के साथ ही माइनर्स को उपहार स्वरूप कुछ नए बिटकॉइन भी प्राप्त होते हैं। नेटवर्क में उपस्थित सभी माइनर्स के मध्य जल्द से जल्द सूचना का नया ब्लॉक बनाने की प्रतिस्पर्धा चलती रहती है। जटिल गणितीय प्रणाली को हल करने के लिए माइनर्स को अत्यधिक कंप्यूटर शक्ति तथा विद्युत की आवश्यकता होती है।

ब्लॉकचेन तकनीक सुरक्षित क्यों?

हम सभी की सामाजिक तथा आर्थिक पहचान सूचनाओं के आधार पर ही है। ये सभी सूचनाएं आवश्यक स्थानों पर उपलब्ध हैं, जो हमारी पहचान तथा अधिकार सुनिश्चित करती हैं। उदाहरण के तौर पर हमारे आर्थिक लेन-देन, किसी भी प्रकार की संपत्ति या परिसंपत्तियों का लेखा जोखा, हमारी पहचान से संबंधित दस्तावेज इत्यादि। इन सभी उदाहरणों में हम देखते हैं कि, सूचना को एकत्रित करने की एक केन्द्रीय व्यवस्था है और इस व्यवस्था में किसी सूचना को बदलना आसान है।

ब्लॉकचेन तकनीक की सहायता से सूचना के साथ छेड़-छाड़ करना या उसे बदलना लगभग नामुमकिन है। जैसा कि, हमनें ऊपर समझा इस तकनीक में कोई भी सूचना ब्लॉक के रूप में होती है। प्रत्येक ब्लॉक में मुख्यतः तीन प्रकार की सूचनाएं ब्लॉक की मुख्य सूचना, पिछले ब्लॉक की सुरक्षा कुंजी तथा उस ब्लॉक की सुरक्षा कुंजी मौज़ूद होती है।

श्रंखला में किसी भी नए ब्लॉक के जुड़ने पर उस ब्लॉक में उसके पूर्व के ब्लॉक की सुरक्षा कुँजी संलग्न हो जाती है। इस प्रकार किसी ब्लॉक की सूचना से छेड़खानी करने पर उस ब्लॉक की सुरक्षा कुंजी परिवर्तित हो जाती है तथा उस ब्लॉक का श्रंखला के अगले ब्लॉक से संपर्क टूट जाता है, जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि, किसी विशेष ब्लॉक से छेड़-छाड़ की गई है।

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इसके अतिरिक्त चूँकि ब्लॉकचेन (Blockchain Technology) का रिकॉर्ड नेटवर्क में उपस्थित हज़ारों विभिन्न नोड्स के पास भी मौजूद होता है अतः किसी एक रिकॉर्ड से छेड़छाड़ करके सूचना में अंतिम रूप से बदलाव करना संभव नहीं है। रिकॉर्ड रखने की यह विकेंद्रीकृत व्यवस्था इस तकनीक को बेहद सुरक्षित बनाती है। 

साधारण शब्दों में समझें तो ब्लॉकचेन तकनीक की पूरी व्यवस्था बहुमत के आधार पर कार्य करती है, जहाँ किसी सूचना का रिकॉर्ड एक व्यक्ति के पास न होकर सभी के पास उपलब्ध रहता है। इस प्रकार किसी एक रिकॉर्ड में किसी सूचना को बदलने से उस सूचना पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता, जब तक की नेटवर्क में उपस्थित आधे से अधिक लोग उस बदली हुई सूचना को स्वीकार न कर लें।

ब्लॉकचेन तकनीक के प्रकार

ब्लॉकचेन तकनीक मुख्यतः दो प्रकार से कार्य करती है। जिनमें पब्लिक ब्लॉकचेन तथा प्राइवेट ब्लॉकचेन शामिल हैं।

पब्लिक ब्लॉकचेन

पब्लिक ब्लॉकचेन का प्रमुख उदाहरण क्रिप्टोकरेंसी का लेन-देन है। यह एक विकेन्द्रीकृत डेटाबेस है, जिसे कोई भी व्यक्ति देख सकता है इसके अतिरिक्त कोई भी व्यक्ति आवश्यक संसाधनों की मदद से इस नेटवर्क में नोड की भूमिका में भी कार्य कर सकता है, जिसके चलते यह नेटवर्क अधिक सुरक्षित है। 

प्राइवेट ब्लॉकचेन

प्राइवेट ब्लॉकचेन किसी कंपनी या संस्था विशेष का डेटाबेस होता है। इसकी पहुँच केवल अधिकृत लोगों तक ही होती है अतः यह एक केंद्रीय डेटाबेस के समान है, किंतु इसकी कार्यप्रणाली साधारण केंद्रीय डेटाबेस से भिन्न है। प्राइवेट ब्लॉकचेन में कुछ चुने हुए व्यक्ति नोड की भूमिका में कार्य करते हैं अतः यह पब्लिक ब्लॉकचेन (Blockchain Technology) की तुलना में कम सुरक्षित है। इसके अतिरिक्त छोटा नेटवर्क होने के कारण यहाँ सूचनाओं को ब्लॉक में बदलने का कार्य पब्लिक ब्लॉकचेन नेटवर्क की तुलना में कम समय में सम्पन्न हो जाता है।

ब्लॉकचेन तकनीक के अनुप्रयोग (Application of Blockchain Technology in Hindi)

वर्तमान में इस तकनीक का अधिकतर उपयोग क्रिप्टो-करेंसी, जिसमें बिटकॉइन मुख्य है के लेन-देन में ही किया जा रहा है इसलिए अधिकांश लोग इस तकनीक को केवल क्रिप्टो-करेंसी या बिटकॉइन से जोड़कर देखते हैं। क्रिप्टो-करेंसी के लेन देन के अलावा भी इस तकनीक को प्रयोग वृहत स्तर पर किया जा सकता है। आइए देखते हैं कुछ विशेष क्षेत्रों में इसके प्रयोग से कैसे आमूल-चूल परिवर्तन किए जा सकते हैं।

मिलावटी दवाओं एवं वस्तुओं की पहचान

इसका एक महत्वपूर्ण उपयोग खाद्य वस्तुओं या दवाओं के क्षेत्र में किया जा सकता है। इस तकनीक द्वारा किसी भी उत्पाद को उसके उत्पादन से बिक्री तक ट्रैक किया जा सकेगा, जिससे किसी उत्पाद के असली या नकली होने का पता लगाया जा सकता है।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनियाँ भर में सालाना तकरीबन 55 करोड़ लोग मिलावटी खाद्य सामग्री से बीमार पड़ते हैं, जबकि इससे मरने वालों की संख्या लगभग 2 लाख से अधिक है। वहीं एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार दुनियाँ में हर साल नकली दवाओं के सेवन से मरनें वालों की संख्या भी लाखों में है। ब्लॉकचेन तकनीक (Blockchain Technology) की सहायता से नकली उत्पादों को पहचाना जा सकता है।

सरकारी योजनाओं में

ब्लॉकचेन तकनीक का एक अन्य उपयोग सरकारी योजनाओं में किया जा सकता है। इससे किसी सरकारी योजना के वित्तपोषण में भ्र्ष्टाचार को खत्म किया जा सकेगा। चूँकि किसी योजना विशेष के लिए राशि के आवंटन से खर्च होने तक का रिकॉर्ड सूचना के एक चेन के रूप में मौजूद होगा अतः सरकारी कार्यों में पारदर्शिता बढ़ेगी तथा भ्रष्टाचार में कमी आएगी। इसके अतिरिक्त कई सरकारी सूचनाओं का संग्रह भी इस माध्यम से किया जा सकता है।

चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने में

ब्लॉकचेन तकनीक (Blockchain Technology) का महत्वपूर्ण उपयोग चुनाव प्रक्रिया को आसान एवं पारदर्शी बनाने में किया जा सकता है। किसी भी लोकतांत्रिक देश के लिए पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है। किंतु पिछले कुछ सालों से इलेक्ट्रॉनिक मशीनों द्वारा होने वाले चुनावों पर सवाल उठते रहे हैं। इसके अतिरिक्त भारत जैसे बड़े देश में बैलेट पेपर द्वारा चुनाव संपन्न कराना भी एक बड़ी चुनौती है इसके साथ ही इस प्रक्रिया में भी पोलिंग बूथ तथा बैलेट पेटी से छेड़छाड़ की संभावना बनी रहती है।

इसके एक अन्य विकल्प के रूप में ब्लॉकचेन वोटिंग को देखा जा सकता है यह तकनीक बेहद सुरक्षित, पारदर्शी तथा वर्तमान चुनाव व्यवस्था की तुलना में बहुत कम खर्चीली है। इस तकनीक द्वारा कोई भी व्यक्ति दुनियाँ के किसी भी हिस्से से चुनावी प्रक्रिया में भाग ले सकता है। मतदाता को अपनी पहचान सत्यापित कर मतदान करना होगा तथा वह मतदान एक सुरक्षित ब्लॉक के रूप में श्रंखलित हो जाएगा, जिससे भविष्य में छेड़छाड़ करने की कोई संभावना नहीं होगी।

कानून का पारदर्शी प्रवर्तन

ब्लॉकचेन तकनीक कानून के बेहतर प्रवर्तन में भी कारगर साबित हो सकती है। इसकी सहायता से किसी व्यक्ति विशेष की आपराधिक गतिविधियों को रिकॉर्ड से हटाना तथा पुराने रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ करना असंभव होगा, जिससे न्यायिक प्रक्रिया पारदर्शी होगी।

कृषि एवं रियल एस्टेट

इस तकनीक की सहायता से इन क्षेत्रों में भूमि संबंधित सुधार किए जा सकते हैं। कई किसानों के पास जमीन के आवश्यक दस्तावेज न होने के चलते उन्हें ऋण उपलब्ध नहीं हो पाता, जबकि अवैध तरीके से किसानों की जमीन हड़पने के मामले भी समाचारों में दिख ही जाते हैं। इस तकनीक की मदद से जमीन का रिकॉर्ड रखना बेहद आसान और सुरक्षित होगा।

ब्लॉकचेन तकनीक के फायदे एवं नुकसान

ब्लॉकचेन तकनीक की सहायता से सूचनाओं के साथ छेड़छाड़ करना या नकली दस्तावेज बना पाना असंभव होगा, किसी मध्यस्थ संस्था की भूमिका खत्म हो जाएगी अतः ऐसी संस्थाओं द्वारा अपने ग्राहकों पर लगाए जाने वाले अनावश्यक प्रतिबंध जैसे प्रतिदिन मुद्रा हस्तांतरण की सीमा आदि भी अस्तित्व में नहीं रहेंगे। वैश्विक स्तर पर मुद्रा का लेन देन त्वरित, आसान व कम खर्चीला होगा।

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वहीं नुकसान की बात करें तो हर प्रौद्योगिकी में कुछ न कुछ खामियाँ अवश्य होती हैं। सबसे पहली खामी की बात की जाए तो इस तकनीक में अत्यधिक संसाधनों तथा विद्युत आपूर्ति की आवश्यकता होती है। इसके अलावा जैसा कि, हमनें देखा इस तकनीक में कोई भी लेन-देन या किसी सूचना का अंतिम रूप से ब्लॉक में दर्ज होना इस नेटवर्क से जुड़े बहुसंख्यक नोड्स पर निर्भर करता है।

हालाँकि यह प्रायोगिक नहीं है फिर भी यदि बहुसंख्यक नोड्स किसी सूचना के साथ छेड़छाड़ करना चाहें तो यह तकनीक सुरक्षित नहीं रह जाती। इस प्रक्रिया को 51% अटैक कहा जाता है। फायदे एवं नुकसान दोनों की तुलना करी जाए तो अधिकांशतः इस तकनीक के फायदे ही हैं। भविष्य में अर्थव्यवस्था तथा अन्य क्षेत्रों में इस तकनीक का प्रयोग क्रांतिकारी साबित होगा।

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